वर्ण माला किसे कहते हैं - what is called alphabet

 वर्णमाला किसे कहते हैं  

what is called alphabet


वर्णमाला

what is called alphabet


 वर्णमाला =

वर्णों की माला = अक्षर + वर्ग + ध्वनि


वर्णमाला, जिसे अक्सर "अल्फाबेट" भी कहा जाता है, भाषा में विभिन्न ध्वनियों को वर्णित करने के लिए एक सिरजनहारु का समूह होता है। हर भाषा की वर्णमाला उस भाषा की ध्वनियों को लिखने और पढ़ने के लिए साधन होती है।
हिन्दी भाषा की वर्णमाला में 52 अक्षर होते हैं, जिनमें 10 स्वर और 41 व्यंजन शामिल हैं। ये हैं हिन्दी वर्णमाला के अक्षर:

देवनागरी वर्णमाला, जिसे हिंदी, मराठी, संस्कृत, बंगाली, गुजराती, नेपाली, सिंधी, पंजाबी, और कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए उपयोग की जाने वाली वर्णमाला के रूप में भी जाना जाता है, एक अक्षर-आधारित लिपि है। देवनागरी वर्णमाला में 52 वर्ण होते हैं, जिनमें से 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं। स्वरों को मात्राओं के साथ व्यक्त किया जाता है, जो स्वरों के उच्चारण को बदलते हैं। 
देवनागरी वर्णमाला एक व्यंजन-मूलक लिपि है, जिसका अर्थ है कि व्यंजन वर्ण पहले लिखे जाते हैं और स्वर बाद में जोड़े जाते हैं। वर्णमाला को अक्षरों के उच्चारण के आधार पर क्रमबद्ध किया जाता है, जिसमें स्वर पहले और व्यंजन बाद में आते हैं।
देवनागरी वर्णमाला एक बहुत ही सुंदर और सुसंगत लिपि है। यह एक शक्तिशाली उपकरण है जो लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने और अपने संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करने की अनुमति देता है।

स्वर (Vowels):

1. अ (a)
2. आ (ā)
3. इ (i)
4. ई (ī)
5. उ (u)
6. ऊ (ū)
7. ऋ (ṛ)
8. ॠ (ṝ)
9. ए (e)
10. ऐ (ai)
11. ओ (o)
12. औ (au)

व्यंजन (Consonants):

1. क (ka)
2. ख (kha)
3. ग (ga)
4. घ (gha)
5. ङ (ṅa)
6. च (ca)
7. छ (cha)
8. ज (ja)
9. झ (jha)
10. ञ (ña)
11. ट (ṭa)
12. ठ (ṭha)
13. ड (ḍa)
14. ढ (ḍha)
15. ण (ṇa)
16. त (ta)
17. थ (tha)
18. द (da)
19. ध (dha)
20. न (na)
21. प (pa)
22. फ (pha)
23. ब (ba)
24. भ (bha)
25. म (ma)
26. य (ya)
27. र (ra)
28. ल (la)
29. व (va)
30. श (śa)
31. ष (ṣa)
32. स (sa)
33. ह (ha)
34. क्ष (kṣa)
35. त्र (tra)
36. ज्ञ (jña)

इस वर्णमाला का सही रूप से अध्ययन करना और सीखना हर भाषा सीखने का पहला कदम होता है।

अक्षर =


 ल = ल्+अ

क = क्+अ

ख = ख्+अ


आक्षर = 

 कभी विनाश न होने वाल।

लुह‌सुन वर्ग विच्छेद = ल्+अ+ ह् +अ+स्+उ+न्+अ



वर्ग प्रकार


स्वर = 

जो  वर्ण  स्वतन्त्र रूप से बोले जाएं

देवनागरी लिपि में 11 स्वर होते हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

खुले स्वर: = अ, आ, इ, ई

मध्यम स्वर: = उ, ऊ, ए, ऐ 

बंद स्वर: = ओ, औ 

स्वर उच्चारण के आधार पर भी वर्गीकृत 

अग्र स्वर: = अ, आ, इ, ई

मध्य स्वर: =  उ, ऊ

पश्चिम स्वर: =  ओ, औ

स्वर मात्राओं के साथ व्यक्त किए जाते हैं, जो स्वरों के उच्चारण को बदलते हैं। उदाहरण के लिए, "अ" स्वर को "अकार" मात्रा के साथ व्यक्त किया जाता है, जो इसे "आ" स्वर में बदल देता है। इसी तरह, "इ" स्वर को "इकार" मात्रा के साथ व्यक्त किया जाता है, जो इसे "ई" स्वर में बदल देता है।

स्वर एक वाक्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वाक्य के अर्थ को स्पष्ट करने में मदद करते हैं और वाक्य के प्रवाह को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, "राम गया" वाक्य में, "आ" स्वर वाक्य को एक सकारात्मक और पूर्ण अर्थ देता है। "राम नहीं गया" वाक्य में, "न" स्वर वाक्य को एक नकारात्मक और अपूर्ण अर्थ देता है।


noteपरंतु बोलने के आधार पर स्वर10 होते हैं क्योंकि  ऋ (ṛ) को नहीं गिर जाता

व्यंजन =

 जो वर्ग स्वरों की सघयता से बोले जाएं।

देवनागरी लिपि में 41 व्यंजन होते हैं, जिन्हें निम्नलिखित रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:

स्वरपूर्व व्यंजन: क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म

अर्धस्वरपूर्व व्यंजन: य, र, ल

अल्पप्राण व्यंजन: क, च, ट, त, प, य, र

महाप्राण व्यंजन: ख, छ, ठ, थ, फ, ल

ऊष्म व्यंजन: ग, घ, ड, ढ, भ

संयुक्त व्यंजन: क्ष, त्र, ज्ञ, श्र, ह्र, श्ल

व्यंजन उच्चारण के आधार पर भी वर्गीकृत 
क वर्ग: क, ख, ग, घ, ङ

च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ

ट वर्ग: ट, ठ, ड, ढ, ण

त वर्ग: त, थ, द, ध, न

प वर्ग: प, फ, ब, भ, म

य वर्ग: य

र वर्ग: र

ल वर्ग: ल

व वर्ग: व

श वर्ग: श, ष

स वर्ग: स, ह

व्यंजन एक वाक्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे वाक्य में अर्थ और ध्वनि को जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, "राम गया" वाक्य में, "ग" व्यंजन वाक्य को अर्थ देता है और "आ" स्वर वाक्य को ध्वनि देता है।

देवनागरी लिपि में व्यंजन वर्ण पहले लिखे जाते हैं और स्वर बाद में जोड़े जाते हैं। यह व्यंजन-मूलक लिपि है।

 अयोगवाह = 

ये न हो स्वर और

अनुस्वार = अं, 
 विशाल = अ:

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